रविवार, 1 अगस्त 2010

आई आई टी में इंटरव्यू

रविवार का दिन था, पूरी तरह से मस्ती के मूड में था, मूड में होने वाली बात ही थी एक दिन पहले आई आई टी में Ph.D. में प्रवेश के लिए मैंने लिखित परीक्षा दी थी, काफी अच्छा कर के आया था और पूरी उम्मीद थी कि इंटरव्यू के लिए मुझे चुन लिया जायेगा | 

यूँ तो रविवार को अवकाश होता है पर उस दिन मुझे CDAC में disaster recovery के प्रोजेक्ट में कुछ कार्य करने के लिए जाना था, काम करने में मुझे दिक्कत नहीं थी, पर सुबह से ही बहुत अलग किस्म का डर लग रहा था, एक अलग सी बैचैनी का अनुभव हो रहा था, इसलिए कोई भी काम नहीं कर पा रहा था |

रह-रह कर एक ही डर लग रहा था कि कहीं मेरा इंटरव्यू छूट ना जाये | मैंने अपने इस डर को शांत करने के लिए आई आई टी में फ़ोन किया पर रविवार होने की वजह से सभी छुट्टी पर थे और मेरा आई आई टी से संपर्क नहीं हो पा रहा था | मेरे साथ CDAC में कार्य करने वाले ओमपाल जी आई आई टी में ही रहते हैं, सो मैंने उनको संपर्क करने का प्रयत्न किया पर उनका फ़ोन व्यस्त जा रहा था और मेरा डर बढ़ता ही जा रहा था, जैसे-जैसे समय निकल रहा था मेरा मन और अधिक बैचैन होता जा रहा था |

आई आई टी में संपर्क करने की मेरी सभी कोशिशें व्यर्थ जा रही थी | घड़ी की सुइयां साढ़े तीन बजा रहीं थीं, और मुझे संपर्क करने का कोई भी रास्ता नहीं मिल रहा था| अचानक मेरे दिमाग की घंटी बजी, मैंने सीधे उस विभाग में ही संपर्क करने का निर्णय लिया जिस विभाग में प्रवेश के लिए मैंने प्रवेश परीक्षा दी थी, अंतरजाल (इन्टरनेट) से सम्बंधित विभाग का फ़ोन नं मिल गया, वहां संपर्क किया तो पता चला कि इंटरव्यू सुबह नौ बजे से चल रहे हैं, और मैं लिखित परीक्षा में पास भी हो गया हूँ, सबसे पहले मेरा ही इंटरव्यू होना था अतः मेरा नंबर निकल चुका है, मैंने उनको स्थिति से अवगत कराया तथा पूछा कि क्या मुझे अब इंटरव्यू में बैठने की इजाजत मिल सकती है? उधर से हाँ सुनने के बाद मेरा दिल जोरों से धड़कने लगा| घड़ी की सुइयां ३:४० का इशारा कर रहीं थीं, और जहाँ में रहता था (खारघर ) वहां से आई आई टी तक पहुँचने में कम से कम डेढ़ घंटे का समय लगता है, तब तक इंटरव्यू समाप्त हो चुके होंगे और में यह सुनहरा अवसर गँवा दूंगा, मैंने तुरंत खारघर टेक्सी को फ़ोन मिलाया और एक टेक्सी बुक करवाई, ऑफिस से घर पहुंचा, कपडे बदले तब तक टेक्सी आ चुकी थी| 

एक सरदार जी ड्राईवर थे, मैंने सरदार जी को स्थिति से अवगत कराया तथा उनको बोला कि "आधे घंटे में या तो आई आई टी पहुँचाओ नहीं तो ऊपर पर उससे पहले अब गाडी को रोकना नहीं", सरदार जी ने और ट्रेफिक ने मेरा साथ दिया और ठीक ४:३० पर मैं आई आई टी में था, सरदार जी को विदा करके अन्दर पहुंचा तो पता चला कि अभी २ लोग इंटरव्यू के लिए बचे हैं, और उनके बाद मेरा नंबर आएगा | मैंने ऊपर वाले का शुक्रिया अदा किया और यथा स्थान बैठ गया |

इंटरव्यू भी कम दिलचस्प नहीं था, मेरी अंग्रेजी की जरूरत से ज्यादा जानकारी मार गयी, पर वो किस्सा अगली पोस्ट में अभी बस इतना ही|

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